Wednesday, February 3, 2016

Mata Meladi Introduction and Puja - माता मेलडी परिचय एवं पूजा

**जय माँ मेलडी** 


माडी गुजराती का शब्द है, माडी का हिन्दी में अर्थ होता है माता। माता को ही माडी कहते हैं।

सतयुग की समाप्ति के समय दैत्य अमरूवा महान प्रतापी मायावी और वरदानी था। उसके अत्याचार से सृष्टि में हाहाकार मच गया, देवताओं के साथ महासंग्राम हुआ, देवता पराजित हो गये, उन्होने महा शक्ति की स्तुति की आदि शक्ति जगदंबा सिंह वाहिनी दुर्गा प्रगट हुई और उन्होंने नौ रूप धारण किया उनके साथ दस महाविद्या और अन्य सभी शक्तियाँ प्रगट हुई। दैत्यों के साथ पुनः महासंग्राम छिड गया | पांच हजार वर्ष तक लगातार युद्ध हुआ।

दैत्य अमरूवा के प्राण संकट में देख युद्ध छोडकर भागा। राह में देखता है कि किसी मृत गऊ के देह का पिंजर पडा है - उसे लगा कि इस पिंजर में शरण लूँ तो ये देव-देवी नजदीक ना आएंगे। अमरूवा उस पिजंर में समा गया। देवी शक्तियाँ पीछा करते वहाँ पर आयीं देखा शत्रु गौ के पिंजर में जा घुसा है, सभी ठिठक कर वहीँ खडी हो गयीं, मृत गौ का पिंजर अशुद्ध माना जाता है। इस अशुद्ध पिंजर से दैत्य को निकालना वह भी पिंजर में घुसकर असंभव है। बाहर निकाले बिना वध भी नहीं किया जा सकता ऐसी विषम स्थिति देवी शक्तियाँ मजबूरी में हाथ मलने लगी। हथेली पर हथेली की रगड से उर्जा उत्पन्न हुई और मैल के रूप में बाहर आयी।

श्री उमादेवी ने युक्ती लगाया और सारे मैल को एकत्र कर मूर्ति का रूप दिया। सभी देवी और देव मिलकर आदिशक्ति की स्तुती करने लगे। तत्काल उस मुर्ति से आदिशक्ति स्वयं हाथ में खंजर ले पांच वर्ष की कन्या के रूप में प्रगट हो गयी। और पूछा:

" हे माताओ मुझे बताओ - क्यों मेरा आवाहन किया "?

देवियों ने सारी व्यथा कह सुनाई और सारा माजरा समझकर देवीयों के इच्छा के अनुरूप वह कन्या गौ के पिंजर प्रवेश कर गयी यह देख आश्चर्य चकित हो दैत्य अमरुवा बाहर भागा और सायला सरोवर में जाकर कीड़े के रूप मे छिप गया।

कन्या ने भी सायला सरोवर में प्रवेश कर के दुष्ट दैत्य का वध कर दिया। सबने जय जयकार किया और अपने अपने धाम प्रस्थान किया।

किन्तु कन्या यदि स्वयं प्रगट होती तो काम निपटाकर लौट जाती। यहाँ तो उनकी रचना कर आह्वान किया गया था। अतः उन्होंने अपनी सृजनकर्ता उमियामाता को पकड़ा और अपना नाम धाम और काम पूछा।

उमिया ने उन्हें चामुण्डा के पास भेज दिया। सत्य हमेशा कसौटी पर कसा जाता है, सत्य की परीक्षा होती है। चामुण्डा ने उस अनाम कन्या को कामरूप कामाख्या विजय हेतु भेजा। चामुण्डा जानती थी कि कामाख्या तंत्र मंत्र जादू टोना और आसुरी शक्तियों की सिद्ध स्थली है। यदि ये वहाँ से विजयी होकर लौटती है तो इनकी वास्तविक शक्ति का आंकलन होगा। फिर उसी के अनुसार नाम धाम और काम सौंपा जा सकेगा।

कन्या ने कामरूप के द्वार पर लगे पहरे को ध्वस्त कर दिया। मुख्य पहरेदार नूरीया मसान को पराजित कर दिया। कामाख्या नगरी में प्रवेश के साथ देखा तंत्र मंत्र जादू टोना, काली विद्या माया के ढेर इन सबको समझने में ही अमूल्य समय जाया हो जायेगा। उन्होने सबको घोल बना कर बोतल में भर लिया।

भूत, प्रेत, जिन्न, मसान, मांत्रिक, तांत्रिक सभी दुष्टों को बकरा बना कर उस पर बैठकर हाथ में बोतल ले बाहर आ गयी। 

जब चामुण्डा के पास पहॅुची तो देवता दानव सबने उनका जय घोष किया। 

चामुण्डा ने कहा जिस विद्या का प्रयोग दूसरों को दुख देने के लिये होता है उसे मैली विद्या कहते हैं।

 तुमने उसी मैली विद्या पर विजय पायी है एवं समस्त शक्तियों के हस्त रगड़ से उत्पन्न मैल से तुम्हारी उत्पत्ति हुई इसलिये तुम्हारा नाम मेलडी माता होगा।

तुम्हारा स्वरुप कलियुग की महाशक्ति रूप के लिये हुआ है तुम कलियुग के विकार अर्थात मैल, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मत्सर का नाश करने वाली शक्ति हो अतः सारा संसार तुम्हे श्री मेलडी माडी के रूप में पूजेगा। तुमने समस्त दुष्टों को बकरा बना दिया है अब यही तुम्हारा वाहन होगा। संस्कृत में बकरे का अज कहा जाता है।  अज का एक अर्थ ब्रह्माण्ड भी होता हैं। बकरे के ऊपर या ब्रह्माण्ड के भी ऊपर विराजने वाली आदि शक्ति हो। स्थाई रूप से सौराष्ट्र की भूमि तुम्हारा वास स्थान होगा। 

परन्तु तात्विक रूप से समस्त देह धारीयों की जीवनी शक्ति के रूप सारी सृष्टि में तुम्हारा वास स्थान होगा। कलियुग में तुम बकरा वाली मेलडी माता के नाम से घर घर पूजी जाओगी।

वैसे तो मेलडी माता के मुख में ममता, नेत्रों मे करूणा है और हृदय में प्रेम है। वे अष्टभुजी रूप में दर्शन देती हैं। बकरे की सवारी है। आठों भुजाओं में अस्त्र - शस्त्र हैं जो निम्नवत कहे गए हैं।



  1. एक में बोतल
  2. दूसरे में खंजर
  3. तीसरे में त्रिशुल
  4. चौथे में तलवार
  5. पांचवें में गदा
  6. छठवें में चक्र
  7. सातवें में कमल
  8. आठवें में अभय की मुद्रा

मेलडी माता पूजन विधि :-

प्रथम गुरु पूजन :-

गुरु ध्यान :
वराक्ष मालां दण्डं च कमन्सलधरं विभुं ।
पुष्यरागान्कितं पीतं वरदं भावयेत गुरुं ॥
बृहस्पते अतियदर्यो अर्हाद्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्देद याचन सर्तप्रजात तदास्म सुद्रविणं धेहिचित्रम ॥

तत्पश्चात पंचोपचार विधि से गुरुपूजन करें :

गंध :- ॐ गुं गुरुभ्यो नमः श्रीगुरुदेवप्रीत्यर्थे गन्धं समर्पयामि
पुष्प : ॐ गुं गुरुभ्यो नमः श्रीगुरुदेवप्रीत्यर्थे पुष्पं समर्पयामि
धूप : ॐ गुं गुरुभ्यो नमः श्रीगुरुदेवप्रीत्यर्थे धूपं घ्रापयामि
दीप : ॐ गुं गुरुभ्यो नमः श्रीगुरुदेवप्रीत्यर्थे दीपं दर्शयामि
नैवेद्य : ॐ गुं गुरुभ्यो नमः श्रीगुरुदेवप्रीत्यर्थे नैवेद्यं निवेदयामि।

उपरोक्त प्रकार से गुरु पूजन करने के पश्चात अब गणपति पूजन करें :

गणपति ध्यान :

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्‌ ।
दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दूरशोभाकरं
वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्‌ ॥

गणपति आवाहन :

ॐ गं गणपतये विघ्नहर्ता आगच्छ इह तिष्ठ तिष्ठ

पंचोपचार पूजन :

गंध :- ॐ गं गणपतये नमः श्रीगणपतिप्रीत्यर्थे गन्धं समर्पयामि
पुष्प : ॐ गं गणपतये नमः श्रीगणपतिप्रीत्यर्थे पुष्पं समर्पयामि
धूप : ॐ गं गणपतये नमः श्रीगणपतिप्रीत्यर्थे धूपं घ्रापयामि
दीप : ॐ गं गणपतये नमः श्रीगणपतिप्रीत्यर्थे दीपं दर्शयामि
नैवेद्य : ॐ गं गणपतये नमः श्रीगणपतिप्रीत्यर्थे नैवेद्यं निवेदयामि।

मेलडी ध्यान :-

अजवाहिनी अष्टभुजा मातेश्वरी मेलडी,
तंत्र - मंत्र भय विमोचिनी मातेश्वरी मेलडी।
रक्तवर्ण प्रिय कन्यारूपिणी मातेश्वरी मेलडी;
भव-भय मोचिनी उद्धारक मातेश्वरी मेलडी।।
अमरुवा प्राणहर्त्री सर्वकालबली मातेश्वरी मेलडी,
नूरिया दम्भ नासिनी सर्वेश्वरी मातेश्वरी मेलडी।
कामरूप दुर्दिन हर्त्री सर्व भयहारी मातेश्वरी मेलडी ;
त्वां नमाम्यहं नमाम्यहं नमाम्यहं मातेश्वरी मेलडी।।

उपरोक्त ध्यान के पश्चात माता का आवाहन करें :-

ॐ ह्रीं आगच्छ मेलडी देव्यै वरदे शुभे
इदं तिष्ठ तिष्ठ पूजां ग्रहाणि सुमुखि।

उपरोक्त ध्यान के पश्चात पंचोपचार विधि से माता का पूजन प्रारम्भ करें :-

गंध :- ॐ ह्रीं मेलडी देव्यै नमः श्रीअजवाहिनीप्रीत्यर्थे गन्धं समर्पयामि
पुष्प : ॐ ह्रीं मेलडी देव्यै नमः श्रीकन्यारूपिणीप्रीत्यर्थे पुष्पं समर्पयामि
धूप : ॐ ह्रीं मेलडी देव्यै नमः श्रीतंत्र-मंत्रभयविमोचिनीप्रीत्यर्थे धूपं घ्रापयामि
दीप : ॐ ह्रीं मेलडी देव्यै नमः श्रीभव-भयहारिणीप्रीत्यर्थे दीपं दर्शयामि
नैवेद्य : ॐ ह्रीं मेलडी देव्यै नमः श्रीनूरियादंभनाशिनीप्रीत्यर्थे नैवेद्यं निवेदयामि।

इस प्रकार से विधि-विधान से माता की पूजा करने के पश्चात माता मेलडी के अग्रलिखित मंत्र का यथासामर्थ्य जप करें।

सन्देश: मूल रूप से मैं यह कहूँगा कि मेलडी माता की पूजा-अर्चना आदि हर संभव तरीके से संपन्न करें किन्तु कभी भी सिद्ध करने की कामना मन में ना लाएं क्योंकि इनका स्वभाव किसी बच्ची की भांति है जो प्रसन्न होने पर अपने हाथ के खिलौने भी दे डाले और यदि जिद पर आ जाये तो सब तहस-नहस कर दे।

एक और बात माता मेलडी के सम्बन्ध में प्रचलित है कि इसे अपना नहीं बनाया जा सकता बस इसका बन जाना ही संभव है और जो इसका हो गया उसके लिए फिर कुछ और बाकी नहीं है।

"बच्चे उसी के साथ सहज महसूस करते हैं जो खुद बच्चा बन जाने की कला जानता हो"

  1. "ह्रीं मेलडी देव्यै नमः"
  2. "ह्रीं ह्रीं मेलडी देव्यै ह्रीं ह्रीं नमः"
  3. "ह्रीं ह्रीं ह्रीं मेलडी देव्यै ह्रीं ह्रीं ह्रीं नमः"
  4. "ह्रीं अजवाहिन्यै नमः"
  5. "ह्रीं तंत्राधिस्ठात्रियै नमः"



१. गंध :- गंध से अभिप्राय सुगन्धित द्रव्य अथवा इत्र से है जो माता के स्थान पर छिड़का जायेगा जिससे कि वह स्थान माता को मनोहारी और रुकने योग्य प्रतीत हो।


२. पुष्प :- प्रायः शक्ति की पूजा में लाल रंग के पुष्पों का विशेष महत्व होता है - किन्तु देश और काल के हिसाब से उपलब्धता के आधार पर पुष्पों का चयन किया जा सकता है।


३. धुप / अगर :- इस क्रम में इष्ट को धुप या अगरबत्ती जलाकर उसकी गंध उनके सम्मुख प्रस्तुत की जाती है। अगरबत्ती अथवा धूप को कम से कम एक मिनट तक इष्ट की मूर्ति या चित्र की नाक के समक्ष रखना चाहिए।


४. दीप :- दीप इस क्रिया में अपनी क्षमतानुसार दीपक जलाने के पात्र का चयन किया जा सकता है जो कीमती धातुओं से लेकर मिटटी तक का हो सकता है - वैसे धातु का दीपक प्रयोग होने के सन्दर्भ में प्रायः पीली धातु के दीपक ही मुख्यतः प्रयोग होते हैं अन्य रंगों हेतु दशाएं और दिशाएं उत्तरदायी हो सकती हैं।


दीपक की बत्ती के सम्बन्ध में यह प्रायः कपास की रुई द्वारा निर्मित लम्बी अथवा विभिन्न प्रकार के आकार -प्रकार की हो सकती हैं किन्तु यदि शुद्ध रुई लेकर इन्हे स्वयं अपनी आवश्यकतानुसार निर्मित किया जाय तो अति उत्तम इन्हे यदि कर्पूर युक्त बनाया जाये तो यह अति लाभकारी होगा।


दीपक जलाने के लिए जब द्रव की बात आती है तो उसके लिए प्रायः देशी घी (गाय का ) इस बात पर जोर दिया जाता है। मेरे अनुसार यदि घी घर का हो या फिर किसी जानकार से लिया गया हो जिसके ऊपर विश्वास हो कि वह मिलावट नहीं करेगा तभी प्रयोग करें अन्यथा तिल के तेल का प्रयोग करें यदि वह भी सुलभ ना हो तो सरसों के तेल का व्यवहार करें।


५. नैवेद्य :- नैवेद्य का अभिप्राय है कि जो भी उपलब्ध संसाधन हैं जिन्हे आप अपने भरण-पोषण हेतु प्रयोग करते हैं वे सभी प्रथम आप अपने इष्ट को समर्पित कर तत्पश्चात स्वयं प्रसाद रूप में ग्रहण करें जिसमे आपकी दैनिक भोजन सामग्री भी हो सकती है अथवा व्रत आदि का विशेष भोजन भी हो सकता है अथवा फल आदि भी हो सकते हैं। इसका परिमाण उतना ही हो जितना एक सामान्य व्यक्ति की ग्रहण क्षमता होती है।


यह तो हुआ पंचोपचार से सम्बंधित सामान्य विवेचन जिसका प्रयोग और परिपालन प्रायः सभी के लिए एकसमान आवश्यक है किन्तु यदि इसे विस्तार देना चाहें तो इसके उपांगों को सम्मिलित करते हुए इसे षोडशोपचार इत्यादि में भी परिवर्तित किया जा सकता है।



मेलडी चालीसा :-


नमो नमो जगदम्ब जय, नमो अजवाहिनी मात।
तुम ही आदि अरु अंत हो , तुमहि दिवस अरु रात।
कालिसुत सदा रटत है, नाम तिहारो साँझ और प्रभात,
कृपा तेरी बस मिलती रहे, और रहे सदा शीश पर हाथ।

  1. जय जय मेलडी दयानिधि अम्बा - हरहु सकल कष्ट अविलम्बा।
  2. जो नर - नारी तुमको ध्यावैं - बिन श्रम परम पद पावैं।
  3. जो जन चल तुम्हरे ढिंग आवै - फिर उसको नहीं काल सतावै।
  4. तुम अम्बे आदिशक्ति हो माता - तव महिमा सकल जग विख्याता।
  5. पल मंह पापी असुर अमरुवा संहारे - गूंज उठे चहुँदिश जयकारे।
  6. गुजरात प्रदेश तुमहि अति भावै - नर-नारी सब तुमहि मिल ध्यावैं।
  7. शक्ति मैल से तुम माँ उपजी - तब शक्ति समूह ने बेबसी तजी।
  8. असुर घुस्यो तब गौ पिंजर माही - सुर-नर-मुनि हित दारुण दाही।
  9. सकल सुर तब मनहि विचारैं - अस को त्रिभुवन जो यह असुर संहारै।
  10. सिगरी शक्ति बेबस हस्त घिसैं - तेज पुंज मैल रूप मह धरनि गिरैं।
  11. यह लखि सब चकित भये - उमा भवानी का सब मुख लखैं।
  12. उमा मातु बनावें पिंडी सुन्दर - कोउ नहीं जस त्रिभुवन अंदर।
  13. फिर सबके देखत एक कन्या बनी - रूप-बुद्धि और बल की धनी।
  14. घुसी तब तुम पिंजर के अंदर - संहारेउ मातु तुम दुर्धर असुर।
  15. सुर-नर-मुनि जन सब हरसाये - कालीपुत्र सदा तुम्हरे गुण गावे।
  16. फिर तुम माता कमरू कामाख्या सिधारी - भक्त जनों की हितकारी।
  17. वहां निम्न विद्या का था राज - कलुषित तांत्रिक नहीं आते थे बाज।
  18. जनता मध्य मची थी त्राहि-त्राहि - कौन सुनै अब केहि दर्द सुनाही।
  19. चामुण्डा तब हुकुम सुनायो - जाओ पुत्री कामाख्या के दर्द मिटाओ।
  20. चली मातु तुम युद्धरता रुपिणी - सर्व भय सकल त्रास विदारिणी।
  21. कामरूप के सब पहरे तुमने तोड़े - काली विद्ययाओं के पर तोड़े।
  22. नूरिया मसान तहाँ अति बलशाली - करता था निम्न तंत्र की रखवाली।
  23. पल मंह नूरिया मसान हराया - कामरूप को काले जादू से मुक्त कराया।
  24. मन्त्र-तंत्र अरु मैली विद्या की धरती - काँप उठी तुम्हरे तेज से वह मिट्टी।
  25. मैली विद्याओं का घोल बनाया - अरु निज कर बोतल माहि समाया।
  26. भूत -प्रेत-आत्मा-जिन्नात - लखि दुर्दशा आम जनन की बहुत ठठात।
  27. मांत्रिक-तांत्रिक और अघोरी - सब मिल करते थे जन-धन चोरी।
  28. तब तुम अति कुपित हुयी थी माता - भवभय हरनी भाग्य विधाता।
  29. पकड़ सबहि फिर बकरा बनाया - वह बकरा निज वाहन रूप सजाया।
  30. सबहि जीत चामुण्डा ढिंग आयीं - दशों दिशाएं जय जयकार से हर्षाईं।
  31. चामुण्डा तब बोलीं बहुत हरषाई - और तुम माता मेलडी कहलायीं।
  32. तुम कलयुग कि स्वयं सिद्ध हो माता - जाय बसी अविलम्ब गुजराता।
  33. जो नर-नारी तुम्हरे गुण गाते - सकल पदारथ इसी लोक में पाते।
  34. तुम्हरी महिमा आदि-अनादि है अम्बा - तुम दुःख हरनी जगदम्बा।
  35. मैं निशदिन तुम्हरी महिमा गाउँ - तब चरणन में दाती शरण मैं पाऊं।
  36. माता मोहे चार प्रबल शत्रु हैं घेरे - डरपत यह मन शरण पड़ा है तेरे।
  37. बकरा वाहिनी मेलडी कहलाती - त्रिभुवन स्वामिनी तुम जगद्धात्री।
  38. मोहि पर कृपा करहु जगजननी - तव महिमा मुख जात ना बरनी।
  39. आओ माता जीवन-मरण से मोहि उबारो - शरण पड़े की विपदा टारो।
  40. जो नित पढ़ै यह मेलडी चालीसा - बिनश्रम होहि सिद्धि साखी गौरीशा। 
तुम जननी हरनी तुमहि , काली सुत को चरणन की आस,
तुमसे ही भव पार है , जपत तुम्ही निश-वासर और प्रभात।
तुम्हीं सबसे श्रेष्ठ हो , तुम ही ही आगम-निगम के पार ,
मम गति तुम्हरे हाथ है , हे माते मेलडी कर दो मम उद्धार।


माता महाकाली शरणम् 

16 comments:

meldi maa said...

Plz Answer my Quiestion

Meladi Maa Orignal Brithdate..

plz...plz.. rip....fast


My number -7600248001 Ajay

Unknown said...

Shayla Sarovar kaha he
Kon se Rajyme he

Unknown said...

Shayla Sarovar kaha he
Kon se Rajyme he

Unknown said...

Sayala is situated in Gujarat distt surendranagar

PM Yojana said...

गुरुजी आप ने बहोत ही आसान शब्दो मे वर्णन किया की मिलड़ी माँ के बारे मे।
बहोत ही अच्छी और सच्ची इन्फॉर्मेशन आपने लिखी है ।

Suarmai maa photos said...

ગુરુજી વિસત માતાજી ની પણ આવીજ જાનકારી મોકલ શો.

Suarmai maa photos said...

ગુરુજી વિસત માતાજી ની પણ આવીજ જાનકારી મોકલ શો.

Unknown said...

Jay Maari Vajen Meldi Ma

Chandra Prakash said...

सादर साधुवाद श्री रमाकांत जी,

Unknown said...

Bhai isme ganesh ji ka aavahan kiya
Guru ka aavahan kiya
To usko bulane k bad usko bapis apne sthan par sthapit karne ka mantr or uske nivedh ka kyo nahi kaha gaya

Unknown said...

Or mata ko bhi apne sthan pe bhejne ka mantr bhi nahi he isme
Is se pujak ko ulta nuksan hoga

MANGESH said...

SIR,
DID YOU NEED A BIRTH DATE TO SING THE GLORY OF MOTHER MELDI.

Jay Parmar said...

Krupa kari Masani Meladi mataji no beej mantra janavso. M:-9925109392


Unknown said...

Meldi mata Baal rup me avashya iska arth ye nahi ki vo keval Baal rup me hi hoti hai. Bhagwati ke anek rup hai, unki siddhi me keval bhakti,nishtha,sadachar aur pavitra yani shuddh rehna anivarya hota hai. Isme koi Hani nahi hoti mata kisiko Hani nahi pohchati apne aap se sirf agar apse koi galti hui hai to apko thodi dikkat deti hai taki aap uski khoj kare aur ye sirf meldi mata nahi duniya ki har shakti isi prakar kaam krti hai aapki apni kuldevi ya kuldev apke pitru dev sab aise hi kaam karte hai. Agar kisi ki bhavna bohot zyada sachhi hai to mata sapne ke madhyam se bhi batati hai zaruri nahi ki ye takleef dengi inse kaha jaye ki Mata sapne me ake batana to batati hai kisi vishesh mantra ki bhi avashyakta nahi hai bas inke naam ka jaap karne se hi ye aati hai sahay karne. Rahi baat baal swabhav me siddhi ki to aapse nahi sambhalta to mat karo na unke dusre rupo ki siddhi Karo, dikkat siddhi me nahi aapke samajh me hai. Apne unko samjha hota to aise vakya na kehte. Baal rup me bachho ka hi vyavhar hoga na bhagwati ugtapore ki meldi, vihar meldi akhat meldi aise anek rupo me virajit hai un rupo ki sadhna Karo unme vo Baal rupo me nahi hai unka mool rup baal swarup ka hai kintu sadhna samay ve vruddh rup me ati hai ya jis roop me sadhak dhyata hai usi rup me ati hai.

Unknown said...

Plz muje bataye meri hone wali saas ko mana ne k liy muje kya krna chahiy ...

Himatbhai Parmar said...

Very very nice information. We come to know more about Meldi Mata. We are from Gujarat yet we know very little about this Shakti /Power. So thank you for giving full details.