Monday, November 9, 2015

Mahalakshmi Pujan / Lakshmi Puja / Deewali Puja / Deepawali Pujan - महालक्ष्मी पूजन / दीवाली पूजा / लक्ष्मी पूजन

जय माँ त्रिशक्ति


सभी मित्रगण एवं गुरुजनों को यथायोग्य प्रणाम तथा वंदन :


दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये प्रदोष मुहूर्त 2015 :

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = १७:४४ से १९:३९
अवधि = १ घण्टा ५५ मिनट्स
प्रदोष काल = १७:२६ से २०:०६

वृषभ काल = १७:४४ से १९:३९

दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त:

प्रातःकाल मुहूर्त (लाभ, अमृत) = ०६:४५ - ०९:२५
प्रातःकाल मुहूर्त (शुभ) = १०:४५ - १२:०६
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ) = १४:४६ - १७:२७
सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) = १९:०७ - २३:१६


अमावस्या तिथि प्रारम्भ = १०/नवम्बर/२०१५ को २१:२३ बजे
अमावस्या तिथि समाप्त = ११/नवम्बर/२०१५ को २३:१६ बजे

( तिथि एवं समय द्रिकपंचांग से उद्धृत )



माता महाकालिका सभी पूजनकर्ताओं को सफलता दें ताकि वे सब अपनी दैनिक और व्यक्तिगत समस्यायों से ऊपर उठकर अपना समय भक्ति और आत्मोन्नति में लगा सकें।

मित्रों जैसा कि आप सबको विदित है कि ११ नवंबर २०१५ को दीवाली (दीपमालिकाओं का पर्व ) है और इस पर्व पर चतुर्दिक प्रकाश ही प्रकाश करने के उद्देश्य से इंसान बहुत सी कोशिशें करता है ताकि इस धरा से और उसके जीवन से सभी तरह के अंधकार मिट जाएँ। इसी क्रम में आज एक सामान्य किन्तु प्रभावी विधि माँ महालक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु आप सबके समक्ष रखने जा रहा हूँ आशा करता हूँ कि आपका समर्पण और माँ की कृपा दृष्टि मिलकर आपके संसार को एक नया आयाम देंगे।

सर्वप्रथम हम पूरी सामग्री की लिस्ट बना लेते हैं जिससे कोई चीज हमारी पूजा के बीच में छूट ना जाये :-

कच्चा दूध
दही
घी
(उपरोक्त तीनों चीजें गाय की हों तो अति उत्तम अन्यथा उपलब्धता के आधार पर जो उपलब्ध हो वही प्रयोग करें )
चौकी / पीढ़ा / बाजोट
लाल कपडा सवा मीटर
शहद
गंगाजल
आम्रपत्र
बेलपत्र / विल्वपत्र
दूर्वा / दूब घास
फूल
फल
लोटा
थाली
शंख
घंटी
पीले चावल
शुद्ध जल
धुप / अगरबत्ती
माँ महालक्ष्मी की मूर्ति या फोटो
हल्दी 9 गांठ
सुपारी 11
जनेऊ ४
सिन्दूर
मौली
गुलाल
इत्र (तीन प्रकार के )
कमल का फूल
कमलगट्टे - २७ + १०८
नारियल ५
मिठाई
पान के पत्ते
चन्दन
धान का लावा
घी / तिल / सरसों का तेल
रुई या कपास की बत्ती
हवन करने के लिए वेदी या अन्य कोई पात्र।


अब किसी एक समुचित स्थान अथवा अपने पूजा गृह में चौकी / पीढ़ा / बाजोट पर लाल कपडा बिछाएं और उसके सामने ही अपने लिए आसन की व्यवस्था करें - तथा आसन पर बैठकर आचमनी (ताम्बे की छोटी सी चमची) से अपने ऊपर जल छिड़कें और यह भावना करें कि इस पवित्र जल के छींटों से आप पवित्र हो रहे हैं और आप सभी पाप-दोषों से मुक्त हो रहे हैं।

अब जो चौकी आपने माँ के पूजन के रखी थी लाल कपडा बिछी हुयी उस पर भी थोड़ा गंगाजल छिड़कें और यह भावना करें कि पूर्ण रूप से शुद्ध स्थल पर आप माँ को आसन दे रहे हैं।

इस पूजा में आपका मुंह उत्तर अथवा पश्चिम की ओर होना चाहिए - पश्चिम की ओर रख सकें तो अत्युत्तम क्योंकि पश्चिमाभिमुख पूजा से माँ महालक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।

इसके पश्चात वहीँ माँ महालक्ष्मी के आसन के समीप चन्दन से अष्टदल कमल का निर्माण करके उसमे ११ या २१ रुपये के सिक्के अथवा चांदी के सिक्के की स्थापना करें( द्रव्य लक्ष्मी)

तत्पश्चात संकल्प लें :- " मैं (अपना नाम ) पुत्र श्री (पिता का नाम ) गोत्र (गोत्र का नाम ) पता (अपना पूरा पता ) अपने परिजनों के साथ आज (दिवस का नाम - मास का नाम - पक्ष का नाम - तिथि का नाम ) माता महाकाली की कृपा प्राप्ति हेतु पूजन कर रहा हूँ। कृपा पूर्वक मेरी पूजा ग्रहण कर मुझ पर अपनी कृपा बनाये रखें" ।

इसके पश्चात ५ घी की दीपमालिकाएँ जला लें - जल से भरा कलश चौकी पर रख लें - कलश में मौली बांधकर स्वास्तिक चिन्ह आदि अंकित कर लें -!

इसके पश्चात अब पूजन कार्य प्रारम्भ करें :-

  1. प्रथम गुरु पूजन (पंचोपचार / षोडशोपचार) अपने समय और सुविधानुसार 
  2. द्वितीय गणेश पूजन (पंचोपचार / षोडशोपचार) अपने समय और सुविधानुसार
  3. तृतीय महालक्ष्मी पूजन (पंचोपचार / षोडशोपचार) अपने समय और सुविधानुसार 
  4. चतुर्थ द्रव्य लक्ष्मी पूजन (पंचोपचार / षोडशोपचार) अपने समय और सुविधानुसार
  5. पंचम दीपमालिका पूजन (पंचोपचार )
यथा :
ॐ दीपमालिके लं पृथिव्यात्मकं गन्धं समर्पयामि
ॐ दीपमालिके हं आकाश तत्वात्मकं पुष्पं समर्पयामि
ॐ दीपमालिके यं वायव्यात्मकं धूपं समर्पयामि
ॐ दीपमालिके रं अग्नि तत्वात्मकं दीपं समर्पयामि
ॐ दीपमालिके वं जल तत्व अमृतात्मकं नैवेद्यं समर्पयामि
ॐ दीपमालिके सं सर्व तत्वात्मकं ताम्बूलं समर्पयामि

तत्पश्चात प्रार्थना करें :

त्वं ज्योतिस्तवं रविष्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारकाः
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः।।

तत्पश्चात जो भी फल - धान का लावा - मिठाई इत्यादि है वह सब माँ को और दीपमालिकाओं को और अन्य सभी देवी देवताओं को समर्पित करें। इसके बाद अन्य सभी दीपकों को उन्ही पांच दीपकों द्वारा प्रज्ज्वलित कर सम्पूर्ण गृह में प्रकाश की स्थापना करें(ध्यान रखें कि यदि घर में तुलसी वृक्ष, कोई मंदिर, पीपल वृक्ष आदि हों तो वहां पर दीपक जलाना या रखना ना भूलें) इसके पश्चात वापस पूजन स्थल में आकर हवन / होम कृत्य संपन्न करें।

## कमलगट्टों को शुद्ध घी में डुबोकर अग्रलिखित श्रीसूक्त की प्रत्येक ऋचा को पढ़कर एक आहुति दें :

।।श्री सूक्त।।

ॐ हिरण्य-वर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

तां म आवह जात-वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

अश्वपूर्वां रथ-मध्यां, हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

कांसोऽस्मि तां हिरण्य-प्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं।
पद्मे स्थितां पद्म-वर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देव-जुष्टामुदाराम्।
तां पद्म-नेमिं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

आदित्य-वर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

उपैतु मां दैव-सखः, कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिं वृद्धिं ददातु मे।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

क्षुत्-पिपासाऽमला ज्येष्ठा, अलक्ष्मीर्नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वान् निर्णुद मे गृहात्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

गन्ध-द्वारां दुराधर्षां, नित्य-पुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्व-भूतानां, तामिहोपह्वये श्रियम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

कर्दमेन प्रजा-भूता, मयि सम्भ्रम-कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले, मातरं पद्म-मालिनीम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

आपः सृजन्तु स्निग्धानि, चिक्लीत वस मे गृहे।
निच-देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं, सुवर्णां हेम-मालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं, पिंगलां पद्म-मालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

तां म आवह जात-वेदो लक्ष्मीमनप-गामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरूषानहम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा, जुहुयादाज्यमन्वहम्।
श्रियः पंच-दशर्चं च, श्री-कामः सततं जपेत्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

पद्मानने पद्म उरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे।
तन्मेभजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहं।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं में जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि में।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

पद्मानने पद्मविपद्म पत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विश्वमनोकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधत्स्व।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

पुत्रपौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिवेगरथं ।
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु मे।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

वैनतेय सोमं पिव सोमं पिबतु वृत्रहा।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

न क्रोधो न मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगंधमालयशोभे।
भगवति हरिबल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यं।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

विष्णुपत्नीं क्षमादेवीं माधवीं माधवप्रियाम।
लक्ष्मीं प्रियसखीम् देवीं नमाम्यच्युत वल्लभाम्। । ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते।
धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसवंत्सरं दीर्घमायुः।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

मातु महालक्ष्म्यै त्वां नमाम्यहम् नमाम्यहम्।
नमाम्यहम् नमाम्यहम् नमाम्यहम्।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।
अब इसके उपरांत कमलगट्टों को शहद में डुबोकर अग्रलिखित मन्त्र से १०८ आहुतियां दें।

"महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात"।। ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।।

इसके पश्चात सभी अन्य आवाहन किये हुए देवताओं को (महालक्ष्मी एवं गणेश जी को छोड़कर ) निम्न मन्त्र के द्वारा विसर्जित कर दें।

यान्तु देवगणाः सर्वे पूजमादाया मामकीम्।
इष्टकाम समृद्धयर्थं पुनरागमनाय च।।


इसके पश्चात पूजन का समापन करें एवं परिवार के सभी सदस्यों को एवं आगंतुक अथवा मित्रजनों को प्रसाद वितरित करें तथा सुबह अगले दिन सभी सामग्री को विसर्जित करें।

(दीपमालिका के लिए प्रयास करें कि शुद्ध देशी घी का प्रयोग करें यदि शुद्ध घी उपलब्ध ना हो सके तो बाजार के घी की जगह तिल का तेल प्रयोग करें यदि वह भी ना हो सके तो सरसों के तेल का प्रयोग करें)

# माँ महालक्ष्मी आप सबके जीवन में उजाला तथा सुख समृद्धि लाएं - इसी कामना के साथ आप सबको मेरी ओर से दीवाली की बहुत-बहुत शुभकामनायें। 




माता महाकाली शरणम् 

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